Monday, April 29, 2024

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कोरोना काल में बिल गेट्स के बयान से भारत की हुई जमकर बेइज्जती , जानें पूरा घटनाक्रम

अंग्वाल न्यूज डेस्क
कोरोना काल में बिल गेट्स के बयान से भारत की हुई जमकर बेइज्जती , जानें पूरा घटनाक्रम

नई दिल्ली । देश दुनिया में कोरोना काल के बीच जहां वैक्सीनेशन का काम तेजी से जारी है , वहीं भारत की मोदी सरकार द्वारा दुनिया के कई देशों को दी गई वैक्सीन पर देश का काफी सम्मान भी मिला है । हालांकि इस सबके बीच माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने एक ऐसा बयान दे डाला है , जिससे भारत समेत दुनिया के विकासशील देशों की काफी किरकिरी हुई है । हालांकि खुद बिल गेट्स भी अपने इस बयान के चलते आलोचना का केंद्र में आ गए हैं । 

असल में स्काई न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बिल गेट्स ने विकासशील देशों को वैक्सीन का फॉर्मूला देने का विरोध किया है । वैक्सीन के इंटेलेक्चुअल प्राॉपर्टी राइट की सुरक्षा को हटाने से विकासशील देशों के साथ दुनिया के अन्य देशों को वैक्सीन का लाभ मिलने के सवाल पर बिल गेट्स बोले - मैं इन बातों के सहमत नहीं हूं । दुनिया में वैक्सीन बनाने का काम कई प्लांट में हो रहा है । इस टीके की सुरक्षा भी काफी अहम है , लेकिन मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि इस टीके के फॉर्मूले को दूसरे देशों के साथ साझा किया जाए । उन्होंने इस दौरान कहा कि अमेरिका की जॉन्सन एंड जॉन्सन की फैक्ट्री और भारत की फैक्टरी में बहुत अंतर है । किसी भी वैक्सीन को हम अपने पैसे और विशेषज्ञता से तैयार करते हैं । 

उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि वैक्सीन का फॉर्मूला कोई रेसिपी नहीं है , जिसे दूसरों के साथ साझा किया जा सके । साथ ही यह कोई बौद्धिक संपदा का मामला भी नहीं है । इस वैक्सीन को बनाने में बहुत सावधानी बरतनी होती है , टेस्ट करने होते हैं टॉयल करने होते हैं । वैक्सीन को बनाने में बहुत सावधानियां बरतनी होती हैं । 

 

उन्होंने कहा कि इसमें कोई बुराई नहीं कि अमीर देशों ने अपने लोगों को पहले तरजीह दी है । अमेरिका और ब्रिटेन में जहां अब 30 साल वालों को वैक्सीन लग रही है , वहीं कुछ अफ्रीकी देशों में अभी तक 60 साल वालों को भी वैक्सीन नहीं लग पा रही है । असल में अपने इस पूरे कथन में उन्होंने इन बातों पर जोर दिया कि एक बार अमीर देशों के लोगों को टीका लग जाएगा तो वह दूसरे देशों के लोगों को भी यह टीका देंगे । 

हालांकि अब बिल गेट्स के इस बयान की दुनिया में काफी आलोचना हो रही है । कई दिग्गज लोगों के साथ ही आम जनता का कहना है कि अमेरिका - ब्रिटेन जैसे देशों ने कुछ नियमों के चलते विकासशील देशों पर शिकंजा कसा हुआ है । इसी तरह कुछ विदेशी संस्थाओं के अहम लोगों ने कहा कि उनका बयान काफी निराशाजनक है ।   

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